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दिल्ली: नर्सिंग होम के पंजीकरण में अनियमितता में स्वास्थ्य अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध

राजधानी में नर्सिंग होम के पंजीकरण और नवीनीकरण के मामले में स्वास्थ्य विभाग और स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (डीजीएचएस) के अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध पाई गई है। भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) की जांच में पता चला है कि स्वास्थ्य विभाग और डीजीएचएस के अधिकारी नर्सिंग होम और अस्पतालों का नियमित निरीक्षण करने में विफल रहे। लाइसेंस के नवीनीकरण के आवेदन को छह से एक वर्ष तक लंबित रखा गया।

बीते दिनों एसीबी द्वारा सतर्कता निदेशालय का सौंपी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2020-21 से कई नर्सिंग होम का निरीक्षण तक नहीं किया गया। एसीबी ने जिन 65 नर्सिंग होम का निरीक्षण किया उनमें से कम से कम 13 स्वास्थ्य विभाग के लाइसेंस के बिना या फिर समाप्त हो चुके लाइसेंस के साथ चल रहे थे। वहीं चार ने कभी लाइसेंस के लिए आवेदन नहीं किया था। यह भी पता चला है कि इनके पास ऐसे डाक्टर नहीं थे जो ऑपरेशन थियेटर, आईवीएफ सुविधाएं और शिशुओं देखभाल करने के योग्य हों। रिपोर्ट में एसीबी ने कहा है कि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की इन नर्सिंग होम के संचालकों और डॉक्टरों के साथ सांठगांठ थी।

बिना अनुमति बढ़ाए बेड
अधिकारियों ने बताया कि डीजीएचएस, अग्निशमन सेवा, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) और निरीक्षण करने वाले मुख्य जिला स्वास्थ्य अधिकारी (सीडीएमओ) से मंजूरी मिलने के बाद नर्सिंग होम और अस्पतालों को लाइसेंस जारी किया जाता है। लाइसेंस का नवीनीकरण भी निरीक्षण के बाद ही किया जाता है। एसीबी के रिपोर्ट में बताया गया है कि एसीबी जिन 65 नर्सिंग होम का निरीक्षण किया इनमें से 27 नर्सिंग होम के पास फायर एनओसी नहीं थी साथ ही इन नर्सिंग होम ने बिना आधिकारिक अनुमति के अस्पताल के बिस्तर बढ़ाए।

तत्कालीन चिकित्सा अधीक्षक के खिलाफ होगी जांच
पूर्वी दिल्ली के विवेक विहार के जिस बेबी केयर न्यू बोर्न अस्पताल में आग लगने से सात शिशुओं की मौत हुई थी। उसका लाइसेंस देने वाले नर्सिंग सेल के तत्कालीन चिकित्सा अधीक्षक के खिलाफ एसीबी जांच करेगी। दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य निदेशालय के तहत आने वाले नर्सिंग सेल के चिकित्सा अधीक्षक ने बेबी केयर न्यू बोर्न अस्पताल को लाइसेंस जारी किया था। इस पर एसीबी ने सतर्कता निदेशालय को पत्र लिख कर जांच करने की अनुमति देने की मांग की है।