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बीएचयू देश का पहला ट्रामा सेंटर, जहां मरीजों को दी जाती है हाइपरबेरिक ऑक्सीजन थेरेपी

बीएचयू हाइपरबेरिक ऑक्सीजन थेरेपी देने वाला देश का पहला ट्रॉमा सेंटर है। यह थेरेपी जल्द घाव भरने में काम आती है। बीएचयू ट्रॉमा सेंटर में तीन महीने में 30 से ज्यादा लोगों को 300 बार यह थेरेपी दी गई है।

चोट लगने पर घाव जल्द भरने में हाइपरबेरिक ऑक्सीजन थेरेपी कारगर साबित हो रही है। इससे जल्द घाव भर जा रहा है और खून में ऑक्सीजन की मात्रा भी बढ़ जा रही है। आईएमएस बीएचयू के ट्रॉमा सेंटर में छह मई से शुरू हुई इस थेरेपी में अब तक 3 महीने में 30 से ज्यादा लोगों को 300 बार थेरेपी दी गई है। इस तरह का इलाज करने वाला बीएचयू देश का पहला ट्रॉमा सेंटर है।

बीएचयू ट्रॉमा सेंटर के प्रोफेसर इंचार्ज प्रो. सौरभ सिंह ने बताया कि हाइपरबेरिक ऑक्सीजन थेरेपी से गंभीर संक्रमण, वायु एंबोलिज्म, घाव, मधुमेह आदि में राहत मिलती है। मानव शरीर में ऊतकों को पर्याप्त ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। जब ऊतक घायल हो जाता है, तो उसे जीवित रहने के लिए अधिक ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। हाइपरबेरिक ऑक्सीजन थेरेपी से रक्त में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ जाती है।

दो से तीन गुना बढ़ जाता है हवा का दबाव
प्रो. सौरभ सिंह ने बताया कि हाइपरबेरिक ऑक्सीजन थेरेपी कक्ष में हवा का दबाव सामान्य वायु दबाव से 2 से 3 गुना बढ़ जाता है। इन परिस्थितियों में फेफड़े सामान्य वायु दबाव में शुद्ध ऑक्सीजन लेने की तुलना में कहीं अधिक ऑक्सीजन लेते हैं। थेरेपी का उपयोग कई तरह के इलाज में होता है। ये मधुमेह संबंधी पैर का अल्सर, गंभीर एनीमिया, मस्तिष्क में फोड़ा, जलन, कार्बन मोनोऑक्साइड विषाक्तता, अचानक बहरापन, डिकंप्रेशन, गैंग्रीन, त्वचा या हड्डी का संक्रमण आदि हैं।