बीएचयू को हर साल बिजली बिल की वसूली में 2.05 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। विश्वविद्यालय प्रशासन 12.33 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीद रहा है, लेकिन दुकानदारों और निवासियों से कम वसूली हो रही है। सीएजी की रिपोर्ट से पता चला है कि कैंपस के दुकानदार 9.90 रुपये और आवासीय लोगों से 8.25 रुपये प्रति यूनिट की दर से वसूली हो रही है। सीएजी ने हैरानी जताई है कि बीएचयू की ओर से बिजली के बिल में न तो कोई सब्सिडी दी जाती है और न ही कोई छूट, तो फिर लागत रिकवरी से ज्यादा क्यों है।
सीएजी की रिपोर्ट में बताया गया है कि बीएचयू में 1430 घरों और दुकानों में बिजली की खपत होती है। ये सभी घर 2019-20 से लेकर 2021-22 के बीच आवंटित किए गए थे। दुकानदार वास्तविक रेट से 35.72 लाख कम और आवासीय लोग 1.69 करोड़ रुपये हर साल कम भुगतान कर रहे हैं। रिपोर्ट में बीएचयू ने सीएजी को बताया है कि वह ईडब्ल्यूएसएस के परामर्श के आधार पर बिजली का बिल चार्ज करता है। ऐसे में बीएचयू को ये नुकसान क्यों उठाना पड़ रहा है, सीएजी को स्पष्ट जवाब नहीं मिल सका।
हर साल 18.15 लाख यूनिट है खपत
बीएचयू कैंपस में हर साल कॉमर्शियल दुकानों और घरों को मिलाकर प्रति व्यक्ति कुल खपत 6285 यूनिट है। एक दुकानदार पर 9304.58 यूनिट और एक आवासीय व्यक्ति पर 3266 यूनिट बिजली का हिसाब बैठ रहा है। हर साल बिजली की खपत 18.15 लाख यूनिट है। रिपोर्ट के मुताबिक, बीएचयू प्रशासन पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड से 12.33 रुपये में बिज ली खरीद रहा है। ऐसे में कुल राशि 6.91 करोड़ होगी। जबकि, बीएचयू 9.90 रुपये और 8.25 रुपये प्रति यूनिट की दर वसूली कर रहा है तो कुल भुगतान 4.88 करोड़ रुपये हुए। इस तरह से बीएचयू को कुल 2 करोड़ 5 लाख रुपये का नुकसान हो रहा है।
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