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ट्रंप की ऐतिहासिक जीत पर चीन का रिएक्शन आया सामने

अमेरिकन चुनाव 2024 में रिपब्लिकन पार्टी के डोनाल्ड ट्रंप ने इतिहास रचते हुए राष्ट्रपति पद का चुनाव जीत लिया है। ट्रंप की जीत पर चीन का हैरानीजनक रिएक्शन सामने आया है। चीन के विदेश मंत्रालय ने बुधवार (06 नवंबर) को स्पष्ट किया कि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव “एक आंतरिक मामला” है और उन्होंने “अमेरिकी लोगों के निर्णय का सम्मान” करने की बात कही। मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने कहा कि चीन “पारस्परिक सम्मान, शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व और जीत-जीत सहयोग के सिद्धांतों के तहत चीन-अमेरिका संबंधों का प्रबंधन और देखरेख” जारी रखेगा। ट्रंप के प्रस्ताव के तहत चीन से आयात पर 60% टैरिफ लगाने के सवाल पर माओ ने कहा, “हम काल्पनिक प्रश्नों पर टिप्पणी नहीं करते हैं।” जब उनसे पूछा गया कि क्या चीनी नेता शी जिनपिंग चुनाव जीतने पर ट्रंप को बधाई देंगे, तो उन्होंने कहा, “हम प्रासंगिक मामलों को सामान्य तरीके से निपटेंगे।”इस प्रकार, अमेरिका में ट्रंप की जीत पर चीन का रुख संयमित और सतर्क प्रतीत हो रहा है, साथ ही उन्होंने अपने संबंधों को सामान्य तरीके से संभालने की बात की है।बता दें कि  चुनाव में ट्रंप की पार्टी ने आवश्यक 270 इलेक्टोरल वोटों के आंकड़े को पार कर लिया है, जो कि ट्रंप की महिला प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ उनकी दूसरी सफल जीत है। ट्रंप देश के 47वें राष्ट्रपति चुन लिए गए हैं। उन्होंने मौजूदा उप राष्ट्रपति और डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार कमला हैरिस को हराया है। ट्रंप की यह दूसरी जीत है। वह 2016 से 2020 तक देश के 45वें राष्ट्रपति रह चुके हैं। ट्रंप की जीत से जानें क्यों बढ़ी चीन की टेंशन चीन, व्यापार, प्रौद्योगिकी और सुरक्षा मामलों में अमेरिका के साथ आने वाले चार वर्षों की कटुता और प्रतिद्वंद्विता के लिए पहले से ही खुद को तैयार कर रहा है। ट्रंप ने अपने चुनावी अभियान के दौरान कह चुके हैं कि वे चीन से आयात होने वाले सामानों पर भारी 60% टैरिफ लगाने का इरादा रखते हैं। उनके एंटी-चाइना नीतियों के चलते, यह संभावना बढ़ गई है कि चीन से अमेरिका के आयात में कमी आ सकती है। विश्लेषकों का मानना है कि यदि ट्रंप अपने प्रस्ताव को लागू करते हैं, तो इससे चाइनीज अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लगेगा, विशेषकर जब विचार किया जाए कि चीन हर साल अमेरिका को 400 बिलियन डॉलर से अधिक मूल्य का सामान बेचता है। इसके अतिरिक्त, ट्रंप ने चीन के लिए सर्वाधिक पसंदीदा राष्ट्र (MFN) का दर्जा समाप्त करने का प्रस्ताव भी दिया है। इस संभावित व्यापार युद्ध की चिंता ने बीजिंग के नेतृत्व को हिला दिया है, क्योंकि वर्तमान में चीन कई आंतरिक और आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहा है। चीन को यह भी आशंका है कि ट्रंप टेक कंपनियों और सप्लाई चेन से संबंधित कंपनियों को तेजी से अमेरिका वापस बुला सकते हैं, जो चीनी अर्थव्यवस्था को खतरे में डाल सकता है। इससे कई बड़ी कंपनियाँ चीन छोड़कर अमेरिका या अन्य देशों में स्थानांतरित हो सकती हैं, जिससे चीन को बड़ा आर्थिक नुकसान हो सकता है।वर्तमान में, चीन की आर्थिक स्थिति भी खस्ताहाल है। कोविड-19 महामारी के प्रभाव ने चीन की विकास दर को माइनस 2.2 प्रतिशत तक गिराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जो कई दशकों में सबसे कम है। इसके साथ ही, ट्रंप के प्रशासन के दौरान ताइवान मुद्दे पर भी तनाव बढ़ सकता है। अमेरिका दक्षिणी चीन सागर में अपनी सैन्य गतिविधियों को बढ़ा सकता है, जिससे चीन पर भारी दबाव बढ़ने की संभावना है।