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वन नेशन- वन सब्सक्रिप्शन स्कीम से 18% कम हो जाएगा रिसर्च खर्च

केंद्र सरकार ने हाल ही में वन नेशन-वन सब्सक्रिप्शन योजना की शुरुआत की है। इस योजना का लाभ लगभग डेढ़ करोड़ छात्रों को मिलेगा। अब भारतीय प्रबन्धन संस्थान (IIM) मुंबई के एक आकलन में यह तथ्य सामने आया है कि इस योजना की वजह से अनुसंधान (रिसर्च) का खर्च 18% तक कम हो जाएगा। वन नेशन-वन सब्सक्रिप्शन योजना के माध्यम से छात्र के एक क्लिक पर 13 हजार से अधिक रिसर्च पेपर्स उनके स्क्रीन पर होंगे। आईआईएम मुंबई के डायरेक्टर प्रो. मनोज कुमार तिवारी के मुताबिक किसी भी अनुसंधान की सफलता उसके तथ्यों और एकत्र आकड़ों के आधार पर होती हैं। इस आधार को मजबूती देने में शोधकर्ता की तकनीकी विशेषज्ञता के अलावा ऐसे कई कारक हैं, जो अनुसंधान के बुनियादी ढांचों को मजबूती देते हैं। इन सभी कारकों में शोधकर्ताओं के समय, उपकरण और उपभोग सामग्रियों की लागत और अनुसंधान सहायता सेवाओं की लागत भी शामिल होती है।

धन की कमी शोध में बड़ी चुनौती

तिवारी ने आगे कहा कि अनुसंधान परियोजनाओं में पैसे की कमी शोधकर्ताओं के लिए कई चुनौतियां पैदा करती हैं। अपने शोध एवं अनुसंधान की वैधता एवं विश्वसनीयता को मजबूती देने के लिए सभी संस्थाएं अब तक पृथक- पृथक तौर पर कई अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं की सदस्यता लेते रहे हैं। ऐसी सदस्यता उच्च शिक्षा संस्थानों के आवंटित बजट पर पुरजोर दबाव डालती हैं जिनके अभाव में न केवल शोध बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता हैं। संस्थानों को इन्हीं सभी समस्याओं से निपटने और छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शोध में सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने वन नेशन- वन सब्सक्रिप्शन स्कीम शुरू की है। अगले तीन साल इस योजना पर केंद्र सरकार छह हजार करोड़ रुपये खर्च करेगी। उन्होंने कहा कि इससे सरकारी संस्थानों में सभी छात्रों, शिक्षकों और शोधकर्ताओं का शोध कार्य और प्रकाशन आसान होगा।

नहीं खरीदनी पड़ेंगी महंगी पत्रिकाएं

ऐसे में वन नेशन- वन सब्सक्रिप्शन स्कीम छात्रों, शिक्षकों और शोधकर्ताओं के लिए वरदान साबित होगी। इस योजना के चलते सरकारी विश्वविद्यालयों, कॉलेजों, अनुसंधान संस्थानों में अनुसंधान और नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा। खास बात यह होगी कि कई शिक्षण संस्थानों को अब महंगी अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं को खरीदने की आवश्यकता नहीं होगी। इस योजना के चलते 6,300 से अधिक संस्थान एवं उनमें कार्यरत 1.8 करोड़ छात्र, शिक्षक और शोधकर्ता 13,000 से अधिक ई-जर्नल का लाभ उठा पाएंगे।

2025 में शुरू होगी योजना

वन नेशन- वन सब्सक्रिप्शन स्कीम जनवरी 2025 से शुरू की जाएगी। पहले चरण में 30 सबसे प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय प्रकाशकों और उनके द्वारा प्रकाशित लगभग 13,000 पत्रिकाओं को शामिल किया गया है।

आईआईएम के पास छह प्रकाशकों की सदस्यता

तिवारी के अनुसार भारतीय प्रबंधन संस्थान मुंबई के पास इस समय इन 30 विश्व प्रसिद्ध प्रकाशकों में से 6 प्रकाशकों की सदस्यता हैं। इनके माध्यम से भारतीय प्रबंधन संस्थान मुंबई में छात्र, शिक्षक एवं शोधकर्ता लगभग 2879 अंतरराष्ट्रीय प्रसिद्ध जर्नल्स और 30000 से अधिक कॉन्फ्रेंस प्रोसीडिंग्स का इस्तेमाल करते हैं। इसके अतिरिक्त ई- शोध सिंधु के माध्यम से चार अधिक प्रकाशकों के प्रकाशन भी उपलब्ध हैं। संस्थान के छात्र, शोधकर्ता और शिक्षक कुल मिलकर लगभग 4935 जर्नल्स का इस्तेमाल करते हैं।

38 फीसदी प्रकाशनों का होगा इजाफा

तिवारी का कहना है कि वन नेशन- वन सब्सक्रिप्शन योजना के बाद संस्थान के छात्र, शिक्षक और शोधकर्ता 30 प्रकाशकों के लगभग 13,000 जर्नल्स का इस्तेमाल में ला सकेंगे। इस सुविधा से न केवल लगभग 38% प्रतिशत प्रकाशनों में वृद्धि होगी बल्कि संस्थान में अनुसंधान और नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा। अभी के परिप्रेक्ष्य में संस्थान के आवंटित पुस्तकालय बजट में लगभग 18% फीसदी खर्च में कमी आएगी।

योजना से संस्थानों की होगी बचत

उन्होंने कहा कि देश में एनआईआरएफ में भाग लेने वाले 10845 संस्थानों में कई गुना अधिक बचत कर पाएंगे। इस धन को अन्य विकास कार्यक्रमों में या बेहतर अनुसन्धान पारिस्थितिकी तंत्र तैयार करने में खर्च किया जा सकता है। इस योजना से 213. 6 फीसदी लाभार्थी उपयोगकर्ताओं की संख्या में इजाफा होगा जबकि 167.4 फीसदी लाभार्थी संस्थानों में वृद्धि होगी। आम तौर पर कोई भी लाभार्थी 60 फीसदी अधिक प्रकाशनों का इस्तेमाल कर सकेगा।