सुप्रीम कोर्ट इस बात पर विचार करने को तैयार हो गया है कि क्या हत्या के अपराध में दो बार दोषी ठहराए गए व्यक्ति को लगातार आजीवन कारावास की सजा दी जा सकती है। शीर्ष अदालत 2010 के दोहरे हत्याकांड मामले में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के 2015 के फैसले से जुड़ी याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
मामले में सुनवाई के दौरान जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा व जस्टिस मनमोहन की पीठ को बताया गया कि जुलाई 2016 में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने कहा था कि कई हत्याओं या आजीवन कारावास से दंडनीय अन्य अपराधों के लिए आजीवन कारावास की कई सजाएं दी जा सकती हैं। लेकिन उन्हें लगातार चलाने का निर्देश नहीं दिया जा सकता।
पीठ ने कहा, इस प्रश्न पर नोटिस जारी किया जाता है कि क्या धारा 302 (दो बार) के तहत दंडनीय अपराध के लिए दोषी ठहराए जाने पर लगातार आजीवन कारावास की सजा देना (संविधान पीठ के फैसले) में की गई टिप्पणियों के मद्देनजर वैध है। इस पर नोटिस पर आठ हफ्ते में जवाब दाखिल करना होगा।
‘हाईकोर्ट ने सुनाया था ये फैसला’
हाईकोर्ट ने इस मामले में एक व्यक्ति की दोषसिद्धि को बरकरार रखते हुए, उसे ट्रायल कोर्ट की ओर से दी गई मौत की सजा को खारिज कर दिया था। हाईकोर्ट ने पूर्ववर्ती आईपीसी की धारा 302 के तहत हत्या के अपराध के लिए दोषी को दो बार आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इसने कहा कि आजीवन कारावास, किसी व्यक्ति के प्राकृतिक जीवन की अंतिम सांस तक कारावास की सजा है और इस तरह, दो आजीवन कारावास की सजा देना अन्यथा अनावश्यक है।
‘हाईकोर्ट का निर्देश हमारी संविधान पीठ के कानून के विपरीत’
सुप्रीम कोर्ट में बृहस्पतिवार को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि हाईकोर्ट का निर्देश अब सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित कानून के विपरीत है। उन्होंने संविधान पीठ के जुलाई 2016 के फैसले का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि जब आजीवन कारावास की बात आती है, तो इसे लगातार नहीं लगाया जा सकता। वकील ने तर्क दिया, इस मामले में बिल्कुल यही किया गया है। साथ ही मामले में वकील ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने स्पष्ट किया है कि कई हत्याओं के लिए आजीवन कारावास की कई सजाएं दी जा सकती हैं, लेकिन इस तरह से दी गई आजीवन कारावास की सजा को लगातार चलाने का निर्देश नहीं दिया जा सकता।
ठग सुकेश की पत्नी की जमानत पर शीघ्र सुनवाई की याचिका खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने 200 करोड़ रुपये की जबरन वसूली के मामले में ठग सुकेश चंद्रशेखर की पत्नी लीना पॉलोज की दिल्ली हाईकोर्ट में जमानत याचिका पर शीघ्र सुनवाई की याचिका खारिज कर दी। जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा व जस्टिस मनमोहन की पीठ ने कहा, यह देखते हुए कि जमानत याचिका पर हाईकोर्ट में आंशिक सुनवाई हो चुकी है और अब इसे 2 जुलाई को आगे की बहस के लिए रखा गया है, हम इस विशेष अनुमति याचिका पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं। इसे खारिज किया जाता है।
शीर्ष अदालत ने कहा, उम्मीद है कि हाईकोर्ट जल्द से जल्द और कानून के मुताबिक अपने समक्ष लंबित जमानत याचिका का निपटारा करेगा। पॉलोज ने हाईकोर्ट के 19 मई के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया, जिसमें उनकी याचिका जुलाई में सूचीबद्ध की गई थी। दिल्ली पुलिस ने रैनबैक्सी के पूर्व प्रमोटर शिविंदर सिंह और मालविंदर सिंह की पत्नियों से 200 करोड़ रुपये की ठगी करने के आरोप में चंद्रशेखर पर मामला दर्ज किया है। देश में उनके खिलाफ कई अलग-अलग जांच चल रही हैं। चंद्रशेखर और पॉलोज को जबरन वसूली के मामले में दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया था। दोनों ईडी के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में भी कार्यवाही का सामना कर रहे हैं।
आंध्र में चल रही शिक्षक भर्ती परीक्षा पर रोक लगाने से इन्कार
सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश में चल रही शिक्षक भर्ती परीक्षाओं को रोकने की याचिका पर सुनवाई करने से इन्कार कर दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि इसे बीच में नहीं रोका जा सकता। जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा व जस्टिस मनमोहन की पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा, हम परीक्षा आयोजित करने के लिए कोई तंत्र नहीं बनाते हैं। यह हमारी विशेषज्ञता नहीं है।
पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील से पहले आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में याचिका दायर न करने के लिए सवाल किया। वकील की ओर से यह कहे जाने पर कि हाईकोर्ट में गर्मी की छुट्टियां चल रही हैं, पीठ ने कहा, गर्मी की छुट्टियों के बाद 16 जून को आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट खुल रहा है। पीठ ने कहा, हम भारत के संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत इस याचिका पर विचार करने के लिए इच्छुक नहीं हैं। याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट जाने की छूट रहेगी।
याचिकाकर्ता के वकील ने सरकारी अधिसूचना का हवाला देते हुए कहा कि जिला स्तर की भर्ती के लिए भी कई शिफ्ट में परीक्षा आयोजित की जानी थी। हालांकि, पीठ ने कहा, परीक्षाएं शुरू हो गई हैं। हम उन्हें बीच में नहीं रोक सकते। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने पीठ को बताया कि एक लाख से अधिक अभ्यर्थी पहले ही परीक्षा में शामिल हो चुके हैं। याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार ने 16,000 से अधिक पदों को भरने के लिए शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया शुरू की है और परीक्षाएं 6 जून से 6 जुलाई तक आयोजित की जाएंगी।
सुप्रीम कोर्ट ने कमल हासन की फिल्म को लेकर कर्नाटक सरकार से मांगा जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कमल हासन की फिल्म ‘ठग लाइफ’ को लेकर जवाब मांगा है। कर्नाटक में फिल्म की स्क्रीनिंग को लेकर धमकियां दी जा रही हैं। इसे लेकर दायर की गई याचिका का सुप्रीम कोर्ट ने गंभीरता से लिया है। जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और मनमोहन की पीठ ने कर्नाटक सरकार, राज्य पुलिस, राज कमल फिल्म्स इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड और कर्नाटक फिल्म चैंबर ऑफ कॉमर्स (केएफसीसी) को नोटिस जारी कर याचिका पर जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि वह फिल्म को मिल रही धमकियों पर क्या कार्रवाई करेगी। अब मामले में अगली सुनवाई 20 जून को की जाएगी।