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मंगल पर मिली पानी की नई परतें, जीवन की उम्मीद फिर प्रबल

नासा के क्यूरियोसिटी रोवर ने मंगल ग्रह की सतह पर एक ऐसे रहस्यमयी इलाके में खुदाई शुरू की है, जहां से अतीत में पानी की मौजूदगी के मजबूत सुराग मिले हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह खोज मंगल के जलवायु इतिहास को फिर से परिभाषित कर सकती है और यह संकेत दे सकती है कि वहां भूमिगत जल अनुमान से कहीं अधिक समय तक सक्रिय रहा। इसे मंगल में जीवन का संकेत भी माना जा सकता है।

नासा का क्यूरियोसिटी मार्स रोवर वर्तमान में माउंट शार्प की तलहटी में स्थित बॉक्सवर्क नामक इलाके की जांच कर रहा है, जो मंगल की सतह पर 12 मील तक फैली हुई एक लंबी पर्वतमाला है। यह इलाका लंबे समय से ऑर्बिटल इमेजिंग (कक्षीय चित्रों) के जरिए देखा जा रहा था, लेकिन पहली बार रोवर वहां भौतिक रूप से पहुंचा है। यह क्षेत्र विशेष रूप से मैग्नीशियम सल्फेट जैसे नमकीन खनिजों से समृद्ध है जो आमतौर पर तब बनते हैं जब पानी सूखता है। इसका स्पष्ट संकेत है कि यह इलाका मंगल की सतह पर जलवायु के अत्यधिक शुष्क हो जाने के बाद बना।

कैल्शियम सल्फेट की नसें, भूमिगत जल का संकेत
चट्टानों में छोटी सफेद नसें मिली हैं, जो कैल्शियम सल्फेट जैसे खनिजों से बनी हैं। ये नसें दर्शाती हैं कि पानी किसी समय चट्टानों की दरारों में बहता था।

जलवायु समयरेखा में बड़ा बदलाव संभव
नासा का कहना है कि इस खोज का महत्व बहुत बड़ा है। अगर पुष्टि होती है कि ऊंची परतों में भी देर तक भूमिगत जल सक्रिय था, तो मंगल पर रहने योग्य अवस्था और उसके जलवायु परिवर्तन की समयरेखा को नए सिरे से परिभाषित करना होगा।

अगला कदम-नमूनों का विश्लेषण
रोवर अब चट्टानों की ड्रिलिंग कर नमूनों का विश्लेषण कर रहा है। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इन नमूनों से उन्हें मंगल के जटिल जलविज्ञान और भूवैज्ञानिक इतिहास के बारे में सटीक जानकारी प्राप्त होगी।

अन्य ग्रहों पर भी मिल चुके हैं पानी के संकेत
मंगल के अलावा सौरमंडल में कई ग्रहों पर पानी की मौजूदगी के प्रमाण मिले हैं। चंद्रमा भी कभी पूरी तरह सूखा माना जाता था, लेकिन 2009 में भारत के चंद्रयान-1 मिशन ने चंद्र सतह पर पानी की खोज की, विशेषकर दक्षिणी ध्रुव के छायांकित गड्ढों में बर्फ की उपस्थिति की पुष्टि हुई। बृहस्पति के चंद्रमा यूरोपा पर बर्फीली सतह के नीचे विशाल तरल जल महासागर के संकेत मिले हैं। इसी तरह चंद्रमा गैनीमीड भी चुंबकीय क्षेत्र में बदलाव के कारण एक भूमिगत महासागर की संभावना प्रकट करता है। शनि के चंद्रमा एनसेलाड्स की सतह पर बर्फ और पानी के फव्वारे मिले। एक और चंद्रमा टाइटन पर सतह पर मीथेन-एथेन की झीलें हैं, लेकिन इसके नीचे भी एक जल आधारित महासागर होने की संभावना जताई गई है।