हवा में मौजूद PM2.5 जैसे अति सूक्ष्म कण सांस के जरिए फेफड़ों को पार करके सीधे ब्लड फ्लो में मिल जाते हैं। ये कण रक्त वाहिकाओं में सूजन पैदा करते हैं, रक्त को गाढ़ा करते हैं और धमनियों को सख्त बनाते हैं। जिसकी वजह से ब्लड प्रेशर (रक्तचाप) बढ़ जाता है, खून का थक्का जमने का खतरा बढ़ता है, और यह स्थिति हार्ट अटैक और स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा देती है। हृदय रोगी और बुजुर्ग इस खतरे के प्रति सबसे ज्यादा संवेदनशील होते हैं।
घर पर सुरक्षा
प्रदूषण बहुत अधिक होने पर घर से बाहर निकलने से बचें, बहुत जरूरी होने पर ही घर से बाहर निकलें। घर के अंदर रहें सभी खिड़कियां और दरवाजे अच्छे से बंद रखें। यह पक्का करें कि आप एयर प्यूरीफायर चला रहे हैं ताकि अंदर की हवा पूरी तरह साफ हो जाए। इस दौरान बाहर की जहरीली हवा को घर के अंदर आने से रोकना सबसे जरूरी है। खासकर जब एयर क्वालिटी इंडेक्स खराब हो, तो अपनी सुरक्षा को सबसे पहली प्राथमिकता दें।
बाहर निकलने पर मास्क पहनें
अगर आपको किसी जरूरी काम से बाहर जाना पड़े, तो N95 या N99 मास्क पहनना बिल्कुल न भूलें। ये खास मास्क हवा में मौजूद PM2.5 जैसे बहुत बारीक और खतरनाक कणों को आपके फेफड़ों तक पहुंचने से रोकते हैं। इस तरह मास्क आपके दिल को भी प्रदूषण के कारण होने वाले अनावश्यक दबाव और नुकसान से बचाता है। मास्क को सही तरीके से पहनना सुनिश्चित करें ताकि कोई गैप न रहे।
व्यायाम और हृदय रोगी
दिल की बीमारी से पीड़ित लोगों को प्रदूषण के ऊंचे स्तर के दौरान कठिन और तेज कसरत (जैसे जिमिंग या तेज दौड़) से पूरी तरह परहेज करना चाहिए। खासकर सुबह और शाम के समय, जब प्रदूषण सबसे ज्यादा होता है, तो बाहर बिल्कुल न जाएं। ऐसे में आप अपनी वॉक या योग जैसी हल्की फुल्की कसरत घर के अंदर ही करें। इससे आपके फेफड़ों और हृदय पर जोर नहीं पड़ेगा और आप सुरक्षित रहेंगे।
आहार और चिकित्सा देखभाल
अपने दिल को स्वस्थ रखने के लिए, अपने खाने में एंटीऑक्सीडेंट (रोगों से लड़ने वाले तत्व) से भरपूर फल और हरी सब्जियां शामिल करें। डॉक्टर की सलाह लेकर ओमेगा-3 और विटामिन के सप्लीमेंट्स भी लें। सबसे महत्वपूर्ण अपनी निर्धारित दवाएं समय पर लेते रहें। अगर आपको जरा भी घबराहट, सीने में दर्द या सांस लेने में तकलीफ महसूस हो, तो बिना देर किए तुरंत अपने डॉक्टर से मिलें।
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