एनपीएस के जरिए औपचारिक क्षेत्र का कोई भी कर्मचारी रिटायरमेंट के लिए बड़ा फंड जमा कर सकता है। इसके लिए आपको एनपीएस के सभी नियमों के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए। आप भी इन नियमों को जान लें।
केंद्र सरकार की ओर से नेशनल पेंशन सिस्टम सरकारी और औपचारिक क्षेत्र के सभी कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद पेंशन की सुविधा देने के बनाया गया है। इसे लेकर जानकारों का कहना है कि एनपीएस मॉडल सरकारी के साथ-साथ निजी क्षेत्र के कॉर्पोरेट कर्मचारियों के लिए भी रिटायरमेंट फंड जमा करने का एक अच्छा जरिया है। इसकी मदद से कोई भी कॉर्पोरेट क्षेत्र का कर्मचारी रिटायरमेंट के लिए बड़ा फंड जमा कर सकता है।बड़ा फंड जमा करने के लिए निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को एनपीएस मॉडल के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए, जिसके बारे में हम अपने लेख में बताने जा रहे हैं।
कैसे कर सकते हैं योगदान
एनपीएस मॉडल के तहत कर्मचारी कई तरह से योगदान दे सकते हैं। कई बार नियोक्ता भी अपनी ओर से कर्मचारियों के लिए योगदान करने का तरीका चुन लेते हैं। ये तीन प्रकार के होते हैं।
1. नियोक्ता और कर्मचारी की ओर से बराबर योगदान।
2. नियोक्ता और कर्मचारी द्वारा असमान योगदान। इसमें नियोक्ता अधिक या फिर कर्मचारी अधिक योगदान करता है।
3. केवल नियोक्ता या फिर केवल कर्मचारी की ओर से योगदान।
कितना है न्यूनतम योगदान
एनपीएस के नियमों के अनुसार, एनपीएस टियर-I अकाउंट को एक्टिव रखने के लिए 1 साल में कम से कम 1000 रुपए का योगदान देना होता है। आप एक साल में कई बार एनपीएस अकाउंट में योगदान दे सकते हैं। हालांकि एनपीएस अकाउंट में आपको कम से कम 500 रुपये जमा करने होते हैं। ऐसे में अगर आप 500 रुपये महीना भी अपने एनपीएस अकाउंट में जमा करते हैं तो आप साल में (500×12) 6000 रुपये जमा कर पाएंगे।
अधिकतम योगदान की सीमा
मासिक योगदान देने के साथ कर्मचारी अपनी स्वेच्छा से एनपीएस अकाउंट में भी योगदान दे सकते हैं। एनपीएस अकाउंट में अधिकतम योगदान देने की कोई भी सीमा नहीं है।
टैक्स सेविंग
एनपीएस में निवेश करने पर कर्मचारियों को टैक्स लाभ भी मिलता है। कॉर्पोरेट कर्मचारी अपने इनकम टैक्स में अपनी सैलरी के 10 फीसदी पर इनकम टैक्स की धारा 80 सीसीडी (1) और 80 सीसीडी (2) के तहत छूट का दावा कर सकते हैं। यह सीमा सरकारी कर्मचारियों के लिए 14 प्रतिशत है।
निवेश का विकल्प
एनपीएस के नियमों के मुताबिक कॉरपोरेट्स अपने कर्मचारियों के लिए योजना के तहत निवेश का विकल्प चुन सकते हैं या फिर यह इसे अपने कर्मचारियों पर छोड़ सकते हैं। अगर कॉर्पोरेट कोई एक निवेश का विकल्प चुनते हैं तो यह संस्था के सभी कर्मचारियों पर लागू होगा।
कैसे करें रजिस्टर
अगर कोई भी कॉर्पोरेट एनपीएस पर अपने आप को रजिस्टर करना चाहता है, तो उसे प्वाइंट ऑफ पर्चेज (Point of Purchase – POP) के जरिए रजिस्टर करना होगा। POP के बाद नियोक्ता की सुविधा के अनुसार कभी भी बदला जा सकता है।
नौकरी बदलने पर एनपीएस अकाउंट का क्या होगा
कोई भी कर्मचारी अगर नौकरी बदलता है, तो बेहद आसानी से अपने एनपीएस अकाउंट को शिफ्ट करा सकता है। इसके लिए आपको कुछ फॉर्म भरकर POP को देने होंगे।