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आगरा को मिले 734 नए दरोगा: व्यावहारिक पुलिसिंग का पढ़ेंगे पाठ

आगरा कमिश्नरेट को 734 नए दरोगा मिले हैं। पहली तैनाती में दरोगाओं को 6 साल गुजारने हैं। इनकी एक साल कड़ी परीक्षा होगी। इनको सिपाहियों की तरह बीट पुलिस अधिकारी की जिम्मेदारी दी गई है। इसमें वो कानून व्यवस्था बनाने से लेकर व्यावहारिक पुलिसिंग का पाठ पढ़ेंगे। शनिवार को पुलिस आयुक्त जे. रविन्दर गौड संवाद कर पुलिसिंग की जानकारी देंगे।

पुलिस आयुक्त ने बताया कि भर्ती नए दरोगाओं में इंजीनियरिंग और साइंस बैकग्राउंड से आने वालों की संख्या अधिक है। मार्च में तैनाती मिलने के बाद पांच दिन की रिवार्ड लीव दी गई थी। इसके बाद होली आ गई। ड्यूटी लगने की वजह से तय तरीके से प्रशिक्षण नहीं शुरू हो सका।

पहले सीखेंगे बीट का काम
पहले इन दरोगाओं को बीट पुलिसिंग सिखाई जा रही है। अपने क्षेत्र में जाएंगे। जनता से संवाद करेंगे। समस्याओं की जानकारी लेंगे। यह पता करेंगे कि क्षेत्र में कितने अपराधी रहते हैं। जातिगत स्थिति क्या है। प्रार्थनापत्रों की जांच करेंगे। सत्यापन, अपराधियों की निगरानी कैसे करें, जानेंगे। इसके बाद उन्हें चौकियों पर भेजा जाएगा। वहां हल्का प्रभारी बनकर जनता की शिकायतों का निस्तारण करेंगे।

साइबर क्राइम की लेंगे जानकारी
कमिश्नरेट में साइबर क्राइम के मामले अधिक हैं। हर थाने में साइबर हेल्प डेस्क है। इन पर भी दरोगाओं को तैनात किया जाएगा। इसके लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा। बताया जाएगा कि पीड़ित के आने पर कितनी जल्दी क्या करना है। पुलिस आयुक्त ने बताया कि अब थानों से लेकर पुलिस विभाग के कार्यालयों में कंप्यूटर पर कार्य होता है। जीडी से लेकर केस डायरी तक में कंप्यूटर का प्रयोग हो रहा है। नए दरोगा पहले से ही कंप्यूटर के जानकार हैं। उन्हें सिर्फ जीडी और केस डायरी की जानकारी दी जाएगी। अपराध के नए तरीके, अपराधियों की धरपकड़ और सजा दिलाने के लिए डिजिटल साक्ष्य संकलन की जानकारी दी जाएगी।

हर काम के मिलेंगे अंक
दरोगाओं के हर महीने का शेड्यूल बनाया गया है। पहले महीने में वह थाना कार्यालय के दैनिक कार्य से लेकर प्रार्थनापत्र की प्राप्ति और निस्तारण का काम सीखेंगे। इस काम की ग्रेडिंग होगी। हर कार्य के लिए अलग-अलग अंक दिए जाएंगे।

दूसरे और तीसरे महीने में वरिष्ठ उपनिरीक्षक और थानाध्यक्ष के साथ अपराध और अपराधियों से जुड़ी जानकारी लेंगे। पंचायतनामा भरना, विवेचनाओं और वैज्ञानिक परीक्षण के लिए साक्ष्य जुटाना जानेंगे। इसके बाद उन्हें अलग-अलग माह में साइबर क्राइम सेल, विशेष इकाई, अपराध शाखा में भेजा जाएगा। अधिकारियों के साथ भी तैनाती रहेगी।