उत्तर प्रदेश में सख्ती के तमाम दावों के बावजूद दूसरे राज्यों से जीएसटी चोरी का लोहे का स्क्रैप (कबाड़) धड़ल्ले से आ रहा है। एक तरफ ये स्क्रैप यूपी में ही कई कंपनियों द्वारा खपाया जा रहा है, तो दूसरी तरफ गोविंदगढ़ पंजाब जाने का सेफ पैसेज भी बन गया है।
जून के दूसरे हफ्ते में सहारनपुर में करीब ढाई दर्जन वाहनों को पकड़ने के बाद साफ हो गया है कि बिहार-झारखंड से पंजाब तक वाया यूपी जाने वाले वाहनों को सुरक्षित पहुंचाने का ठेका लेने वाले एजेंटों का नेटवर्क और मजबूत हो गया है। इसमें विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों की भी मिलीभगत का संदेह है। शासन भी ऐसे मामलों की जांच कर रहा है।
कई बड़ी कंपनियों की संलिप्तता आई सामने
लोहे के कबाड़ में जीएसटी चोरी के नेटवर्क में कई बड़ी कंपनियों की संलिप्तता सामने आ चुकी है। बिहार-झारखंड से कर चोरी के स्क्रैप से लदे वाहन आजमगढ़, वाराणसी, चंदौली, लखनऊ, अलीगढ़, सहारनपुर होते हुए पंजाब के गोविंदगढ़ तक जाते हैं।
सहारनपुर में पकड़े गए वाहनों के बाद ये साफ हो गया कि लगभग आठ जिलों की सीमाएं पारकर जो वाहन पंजाब पहुंच रहे हैं, वह बिना विभागीय लापरवाही के संभव नहीं है। इन वाहनों की धरपकड़ भी शासन से मिले इनपुट के आधार पर की गई। इसके बाद ढाबे में खड़ी गाड़ियों की चेकिंग की गई थी।
मामले में गोपनीय जांच के निर्देश
ऐसे मामले संवेदनशील इसलिए हैं क्योंकि टैक्स चोरी के कबाड़ से लदे वाहनों का यूपी में प्रवेश गोरखपुर, चंदौली, गाजीपुर, सोनभद्र जैसे जिलों से होता है। विभाग ने भी इसे गंभीरता से लिया है। गोपनीय जांच के निर्देश दिए हैं।
पूरे मामले की रिपोर्ट भी शासन को भेजी गई है। गोरखपुर में तीन सहायक आयुक्तों के खिलाफ जांच चल रही है। हालांकि विभागीय अधिकारियों का ये भी कहना है कि चूंकि रास्ते कई हैं और सीमित टीमें हैं, इसलिए हर वाहन की जांच संभव नहीं है।