Sunday , August 10 2025

एरोबिक एक्सरसाइज का कमाल, फ‍िटनेस ही नहीं; शरीर की अंदरूनी आवाज को भी सुन सकते हैं आप

आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में खुद को फिट रखना मुश्किल है। हाल ही में एक स्टडी में एक्सरसाइज के एक ऐसे फायदे को उजागर किया गया है जिसके बारे में शायद ही कोई जानता हो। एरोबिक एक्सरसाइज से इंटरसेप्शन नाम की क्षमता बढ़ती है जो हमें अपने शरीर के अंदर हो रही चीजों को समझने में मदद करती है।

आज कल की भागदौड़ भरी ज‍िंदगी में खुद को फ‍िट रखना क‍िसी चुनौती से कम नहीं है। इसके ल‍िए आपको काफी मेहनत करनी पड़ती है। हेल्‍दी डाइट लेने के साथ-साथ एक्‍सरसाइज और वॉक करना जरूरी हो जाता है। इससे सेहत काे कई फायदे म‍िल सकते हैं। साथ ही मन को भी सुकून म‍िलता है। हालांकि, हाल ही में एक स्टडी ने एक्‍सरसाइज के एक ऐसे फायदे को उजागर क‍िया है, ज‍िसके बारे में शायद ही कोई जानता हो। खासकर एरोबिक एक्सरसाइज के बारे में।

खास बात ताे ये है कि ये फायदा हमारे शरीर को अंदर से बेहतर तरीके से समझने में मदद करता है। इसका असर सिर्फ शारीरिक ही नहीं बल्कि मेंटल हेल्‍थ पर भी पड़ता है। आज का हमारा लेख भी इसी व‍िषय पर है। हम आपको हाल ही में हुई इस स्‍टडी के बारे में व‍िस्‍तार से जानकारी देने जा रहे हैं। आइए इसके बारे में व‍िस्‍तार से जानते ह‍ैं –

एरोब‍िक एक्‍सरसाइज क्‍या है?

आपको बता दें क‍ि साइकोलॉजी ऑफ स्‍पोर्ट एंड एक्सरसाइज में छपी एक नई स्टडी ने एरोब‍िक एक्‍सरसाइज के बारे में चौंकाने वाले फायदे बताए हैं। अब आप सोच रहे होंगे क‍ि एरोब‍िक एक्‍सरसाइज क्‍या है तो ये एक ऐसी फ‍िज‍िकल एक्‍ट‍िव‍िटी है जिसमें दिल की धड़कनें और शरीर में ऑक्सीजन का लेवल बढ़ जाता है। साथ ही हमारे शरीर के बड़ी मांसपेशियां लगातार काम करती हैं। इसमें तेज वॉक करना, साइकिल चलाना, स्‍वीम‍िंग करने जैसी चीजें शाम‍िल हैं।

स्टडी के मुताबिक, हफ्ते में सिर्फ तीन बार भी मीडियम लेवल की एरोबिक एक्सरसाइज करने से इंटरसेप्शन नाम की क्षमता बढ़ती है, जिसे ‘आठवीं इंद्रिय’ भी कहा जाता है।

इंटरसेप्शन क्या है?

आमतौर पर हमेशा पांच इंद्रियों के बारे में ही बात की जाती है। जैसे देखना, सुनना, सूंघना, चखना और छूना। इसके अलावा छठी इंद्रिय (शरीर की पोजीशन) और सातवीं (संतुलन) भी होती है। आठवीं इंद्रिय ही इंटरसेप्शन है, जो हमें अपने शरीर के अंदर हो रही चीजों जैसे दिल की धड़कन, सांस, भूख-प्यास और बाकी संकेतों को समझने में मदद करती है। इससे हम अपनी सेहत को बेहतर तरीके से संभाल सकते हैं।

क्‍या कहती है स्टडी?

जो लोग एक्‍सरसाइज नहीं करते हैं, उन्‍हें 12 हफ्तों के ल‍िए दो ग्रुप में बांटा गया। एक ने हफ्ते में तीन बार साइकिल चलाई, दूसरे ने अपनी रोजाना के रूटीन को जारी रखा। पहले 6 हफ्ते मीडियम और अगले 6 हफ्ते इंटेंस एक्सरसाइज करवाई गई। इसके बाद जब उनसे बिना पल्‍स देखे अपने दिल की धड़कनों को गिनने को कहा गया, तो एक्सरसाइज करने वाले बेहतर निकले और अपने शरीर के बारे में ज्यादा जागरूक महसूस करने लगे।

इससे साफ मतलब न‍िकलता है क‍ि अगर आप अपने शरीर के संकेतों को अच्छी तरह पहचान पाएंगे, तो समय पर मेडिकल मदद ले सकेंगे। इसके साथ ही मेंटल हेल्‍थ भी बेहतर रहेगा। ऐसे में डिप्रेशन और चिंता कम हो सकती है।