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बरेली में मुआवजे के 114 करोड़ रुपये दबाए बैठा बीडीए, रोज चढ़ रहा 1.22 लाख ब्याज

बरेली विकास प्राधिकरण लारा से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक के आदेशों को ठेंगा दिखा रहा है। 20 साल पहले किसानों की जमीन का अधिग्रहण किया गया था। लेकिन कई किसान आज भी मुआवजे के लिए भटक रहे हैं। जानिए पूरा मामला…

बरेली में रामगंगानगर आवासीय योजना के लिए बरेली विकास प्राधिकरण (बीडीए) ने 20 साल पहले किसानों की जमीन ली। मगर, कई किसान आज भी मुआवजे के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। भूमि अर्जन, पुनर्वासन एवं पुनर्व्यवस्थापन प्राधिकरण (लारा) से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक मात खाने के बावजूद बीडीए चंद्रपुर बिचपुरी के किसानों के 114 करोड़ रुपये देने को तैयार नहीं है। इसमें 29.75 करोड़ रुपये मूलधन है। इस पर रोज 1.22 लाख रुपये ब्याज भी चढ़ रहा है।

लारा ने तीन माह के भीतर प्रतिकर देने का आदेश भी दिया था। भुगतान न होने पर किसानों ने फिर से लारा में बीडीए के विरुद्ध केस दायर किया है। चंद्रपुर बिचपुरी के देवेंद्र प्रताप-महेंद्र कुमार और ओम प्रकाश-रामप्रकाश की जमीन का बीडीए ने वर्ष 2004-05 में अधिग्रहण किया था।

पुरानी दरों से दिया गया था मुआवजा
आरोप है कि कब्जा लेने के 11-12 साल बाद उन लोगों को पुरानी दरों पर मुआवजा दिया गया, जबकि बाजार मूल्य के मुताबिक उस दौर में उनकी जमीन की कीमत काफी ज्यादा हो चुकी थी। बीडीए ने उनकी फरियाद नहीं सुनी तो उन्होंने कलेक्ट्रेट परिसर स्थित लारा में वाद दाखिल किया था।

देवेंद्र प्रताप-महेंद्र कुमार के मामले में 26.50 करोड़ रुपये मूलधन और ब्याज समेत कुल 101.56 करोड़ रुपये बीडीए को कोर्ट में जमा करने का आदेश हुआ था। इसी तरह ओम प्रकाश, रामप्रकाश और गुलशन देवी के मामले में मूलधन के 3.26 करोड़ और ब्याज समेत कुल 12.57 करोड़ रुपये कोर्ट में जमा करने का आदेश हुआ था।
दोनों मामलों में ब्याज समेत कुल 114.13 करोड़ रुपये बीडीए को लारा में जमा करना था। बीडीए ने अब तक एक रुपया भी जमा नहीं किया है। दोनों मामलों में रोज 1.22 लाख रुपये का ब्याज चढ़ रहा है।

सुप्रीम कोर्ट तक दी चुनौती, हर जगह मिली मात
बीडीए ने लारा के फैसले को हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक चुनौती दी, लेकिन हर जगह उसे मात मिली। अब इन किसानों ने लारा के पूर्व में पारित आदेश का अनुपालन कराने के संबंध में बीडीए के विरुद्ध फिर वाद दाखिल किया है। चंद्रपुर बिचपुरी के ओम प्रकाश ने बताया कि उनके ही गांव के सुरेश और श्रवण का मामला भी सुप्रीम कोर्ट से निस्तारित हो चुका है, मगर बीडीए उन्हें मुआवजा देने के लिए तैयार नहीं है।

7500 के बजाय 165.51 रुपये की दर से दिया मुआवजा
किसान ओम प्रकाश और राम प्रकाश ने बताया कि वर्ष 2004 में उनकी जमीन का अधिग्रहण भूमि अर्जन अधिनियम-1894 के तहत बीडीए ने किया था। अप्रैल 2016 में अवार्ड घोषित किया। चंद्रपुर बिचपुरी के साथ ही अहरौला, डोहरिया, मोहनपुर उर्फ रामनगर की भूमि का भी बीडीए ने रामगंगानगर आवासीय योजना के लिए अधिग्रहण किया था।

उक्त भूमि का सर्किल रेट 7500 रुपये प्रति वर्गमीटर निश्चित है। बीडीए ने वर्ष 2004 से पूर्व तीन वर्ष के अंदर हुए 74 बैनामों में से केवल 11 के मूल्य का औसत निकालकर उसी के आधार पर प्रतिकर की धनराशि 165.51 रुपये प्रति वर्गमीटर निर्धारित कर अवार्ड घोषित कर दिया। यह किसानों के लिए न्यायसंगत नहीं है।