कोलकाता में आयोजित सशस्त्र बलों का तीन दिवसीय 16वां संयुक्त कमांडर सम्मेलन बुधवार को संपन्न हो गया। यहां सेना की पूर्वी कमान मुख्यालय विजय दुर्ग में आयोजित सम्मेलन में सशस्त्र बलों के भविष्य का रोडमैप तैयार किया गया और तीनों सेनाओं के बीच संयुक्तता को बढ़ाने पर जोर दिया गया। सुधारों को एक सतत प्रक्रिया के रूप में संस्थागत बनाना जरूरी है
कोलकाता में आयोजित सशस्त्र बलों का तीन दिवसीय 16वां संयुक्त कमांडर सम्मेलन बुधवार को संपन्न हो गया। यहां सेना की पूर्वी कमान मुख्यालय विजय दुर्ग में आयोजित सम्मेलन में सशस्त्र बलों के भविष्य का रोडमैप तैयार किया गया और तीनों सेनाओं के बीच संयुक्तता को बढ़ाने पर जोर दिया गया।
प्रधानमंत्री मोदी ने 15 सितंबर को इस सम्मेलन का उद्घाटन किया था। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने समापन संबोधन में कहा कि भारतीय सेनाएं हमेशा चुस्त, आत्मनिर्भर और भविष्य के लिए तैयार रहने के लिए लगातार सुधार करती रहेंगी।
सुधारों को एक सतत प्रक्रिया के रूप में संस्थागत बनाना जरूरी है, ताकि जटिल वैश्विक माहौल में आने वाली चुनौतियों का प्रभावी ढंग से सामना किया जा सके। प्रधानमंत्री मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के निर्देशों के अनुरूप सुधारों की विस्तृत कार्ययोजना तैयार की गई है।
सुधारों और तकनीकी आत्मनिर्भरता से ही भारतीय सेनाएं भविष्य की जंगों के लिए पूरी तरह सक्षम होंगी। सीडीएस ने पिछले दो वर्षों के प्रमुख सुधारों और अब तक उठाए गए कदमों की समीक्षा की। सम्मेलन में अंतिम दिन का फोकस-‘उभरते खतरे और भविष्य की चुनौतियां’था। सीडीएस ने सुधारों का वर्ष के तहत तैयार की गई योजनाओं का विस्तृत ब्यौरा दिया।
रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी बयान के मुताबिक, सम्मेलन में तीनों सेनाओं के बीच बेहतर तालमेल, संयुक्तता और अंतर-सेवा सहयोग पर जोर दिया गया। खासकर अंतरिक्ष, साइबर, सूचना और विशेष अभियानों जैसे क्षेत्रों में संस्थागत सुधार की जरूरत रेखांकित की गई। यह द्विवार्षिक सम्मेलन सशस्त्र बलों का सर्वोच्च विचार मंच है, जिसमें रक्षा मंत्रालय एवं तीनों सेनाओं के शीर्ष निर्णयकर्ता एक साथ बैठकर रणनीतिक एवं वैचारिक विमर्श करते हैं।
15 से 17 सितंबर तक आयोजित इस सम्मेलन में देशभर से तीनों सेनाओं- आर्मी, नौसेना व वायुसेना के शीर्ष कमांडरों ने हिस्सा लिया और तीन दिनों तक सुरक्षा संबंधी मुद्दों, चुनौतियों व भविष्य की रणनीति आदि विषयों पर गहन मंथन किया।
इस बार का विषय था- सुधारों का वर्ष- भविष्य के लिए परिवर्तन, जो बताता है कि तीनों सेना खुद को बदलते सुरक्षा परि²श्य के अनुसार तैयार कर रही है।
अधिकारियों के अनुसार, यह सम्मेलन सशस्त्र बलों को और अधिक एकीकृत, तकनीकी रूप से उन्नत और परिचालन रूप से चुस्त-दुरुस्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हुआ है।