सुप्रीम कोर्ट ने उम्मीद पोर्टल पर वक्फ बाय यूजर और सभी वक्फ संपत्तियों के अनिवार्य पंजीकरण के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। इसके अलावा असम पुलिस को पत्रकार व यूट्यूबर सिद्धार्थ वरदराजन समेत अन्य पत्रकारों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के संबंध में कोई भी दंडात्मक कार्रवाई करने से रोक दिया। आइए पढ़ते हैं सुप्रीम कोर्ट अहम खबरें…।
सुप्रीम कोर्ट ने उम्मीद पोर्टल पर वक्फ बाय यूजर और सभी वक्फ संपत्तियों के अनिवार्य पंजीकरण के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। केंद्र ने छह जून को सभी वक्फ संपत्तियों की जियो-टैगिंग के बाद डिजिटल सूची बनाने के लिए एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तिकरण, दक्षता और विकास अधिनियम, 1995 (यूएमईईडी) केंद्रीय पोर्टल लॉन्च किया था। इस पोर्टल पर पूरे भारत में सभी पंजीकृत वक्फ संपत्तियों का विवरण छह महीने के भीतर अनिवार्य रूप से अपलोड किया जाना है।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि हमने इस मामले में पहले ही आदेश सुरक्षित रख लिया है। वकील ने कहा कि समस्या यह है कि समय बीतता जा रहा है और केंद्र ने संपत्तियों के पंजीकरण के लिए छह महीने का समय दिया है। इस पर सीजेआई ने कहा कि आप इसे पंजीकृत कराएं। कोई भी आपको पंजीकरण से मना नहीं कर रहा है। इस पहलू पर बाद में विचार किया जा सकता है।
वहीं 22 मई को मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने वक्फ मामले में तीन प्रमुख मुद्दों पर अंतरिम आदेश सुरक्षित रखा था। इनमें से एक मुद्दा वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 में निर्धारित अदालतों द्वारा वक्फ, उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ या विलेख द्वारा वक्फ के रूप में घोषित संपत्तियों को गैर-अधिसूचित करने की शक्ति से संबंधित है।
शुक्रवार को एक वकील ने पीठ को बताया कि केंद्र सरकार ने पोर्टल है पर उपयोगकर्ताओं द्वारा वक्फ सहित सभी वक्फों के अनिवार्य पंजीकरण की बात कही है। आवश्यकताएं ऐसी हैं कि वक्फ-बाय-यूजर्स को पंजीकृत नहीं किया जा सकता। हमने निर्देश के लिए अंतरिम आवेदन दायर करने की मांग की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री यह कहते हुए इसकी अनुमति नहीं दे रही है कि फैसला पहले ही सुरक्षित रखा जा चुका है।
असम पुलिस को सिद्धार्थ वरदराजन के खिलाफ कार्रवाई करने से रोका
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को असम पुलिस को पत्रकार व यूट्यूबर सिद्धार्थ वरदराजन समेत अन्य पत्रकारों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के संबंध में कोई भी दंडात्मक कार्रवाई करने से रोक दिया। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने आदेश तब पारित किया जब पत्रकारों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता नित्या रामकृष्णन ने कहा कि असम पुलिस अदालत द्वारा पारित पूर्व आदेशों की अवहेलना कर रही है। वरदराजन समेत अन्य पत्रकारों को मई में दर्ज एक पुरानी प्राथमिकी में बयान दर्ज कराने के लिए शुक्रवार को बुलाया गया है और ऐसी आशंका है कि उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है।
इस पर पीठ ने कहा कि सभी से कानून का पालन करने की अपेक्षा की जाती है और पत्रकारों से कहा कि वे जांच में शामिल हों तथा अगली सुनवाई पर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करें। 12 अगस्त को शीर्ष अदालत ने वरदराजन को संरक्षण दिया था और ऑपरेशन सिंदूर पर एक लेख को लेकर उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के संबंध में असम पुलिस को उनके खिलाफ कोई भी दंडात्मक कार्रवाई करने से रोक दिया था।