– इस बार पर्यावरण के साथ होगी आस्था की साझेदारी, पंडाल में ही पर्यावरण-अनुकूल होगा विसर्जन
– इको-फ्रेंडली गणपति बप्पा की सबसे अधिक मांग, हर जेब के मुताबिक विकल्प उपलब्ध
सिमरन
नई दिल्ली। दिल्ली की सड़कें फिर से गणपति बप्पा मोरया के जयकारों से गूंजने वाली हैं। इस बार गणेश चतुर्थी में ऑपरेशन सिंदूर की देशभक्ति वाली थीम और एक पेड़ मां के नाम अभियान की हरी-भरी झलक से पंडाल गुलजार होंगे। बुधवार से शुरू होने वाले दस दिवसीय महोत्सव में पर्यावरण संरक्षण पर भी जोर रहेगा। इस बार कई पंडालों में जलाशय बनाए जा रहे हैं, जहां गणपति का विसर्जन होगा। बाद में उसी पानी से पौधे लगाए जाएंगे।
लक्ष्मी नगर, रोहिणी, द्वारका, करोल बाग, राजौरी गार्डन और साकेत जैसे इलाकों में बड़े पंडाल सजाए जा रहे हैं। इस बार हर पंडाल की खास थीम है। कहीं महाराष्ट्र की झलक तो कहीं दक्षिण भारत की परंपरा देखने को मिलेगी।
लक्ष्मी नगर के श्री गणेश सेवा मंडल में देशभक्ति और पर्यावरण संरक्षण का अनूठा मेल देखने को मिलेगा। इस साल यहां के पंडाल पर ऑपरेशन सिंदूर की थीम छाई हुई है, जो सेना की ऑपरेशन से प्रेरित है। इसके अलावा कई पंडालों में गणपति को सेना की वर्दी में सजाया जाएगा। इसके माध्यम से जवानों को श्रद्धांजलि दी जाएगी। आयोजक महेंद्र सिंह लड्डा बताते हैं कि पिछले 24 साल से गणेश चतुर्थी का आयोजन कर रहे है। उन्होंने बताया कि वह हर साल इको-फ्रेंडली मूर्ति बनवाते हैं। इस बार भी मूर्ति में मिट्टी और पानी के रंगों का इस्तेमाल किया गया, जो इसे पर्यावरण अनुकूल बनाता है। इसके अलावा समितियां सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ-साथ योगा कैम्प, पर्यावरण प्रदर्शनी और रक्तदान शिविर भी आयोजित करेंगी।
अंतरिक्ष में घूमते दिखेंगे बप्पा
गणेशोत्वस के कुछ पंडालों में अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला के स्पेस मिशन वाली थीम भी दिखेगी। कुछ पंडालों को अंतरिक्ष यान की शक्ल देने की तैयारी है। आयोजकों का कहना है कि ऐसे थीम युवाओं को आकर्षित करते हैं। करोल बाग पंडाल के आयोजक राम ने बताया कि बप्पा इस बार अंतरिक्ष में घूमते नजर आएंगे। इससे बच्चों को विज्ञान और देशभक्ति का संदेश दिया जाएगा। इसके अलावा पंडाल में आकाश व अग्नि मिसाइल और तेजस फाइटर जेट के मॉडल भी आकर्षण का केंद्र होंगे।
हर साइज की मूर्तियां हैं उपलब्ध
बाजारों में गणपति मूर्तियों की बहार है। छोटे से लेकर बड़े साइज तक, हर जेब के मुताबिक विकल्प उपलब्ध हैं। चार इंच से 6 इंच वाली छोटी मूर्तियां 399 रुपये से शुरू होकर 999 रुपये तक मिल रही हैं, जो घर की पूजा के लिए सबसे अच्छा विकल्प हैं। वहीं मीडियम साइज (7 से 12 इंच) 1,200 से 3,500 रुपये में उपलब्ध हैं, जबकि बड़े पंडालों के लिए 14 से 24 इंच वाली मूर्तियां पांच हजार से 20 हजार व इससे अधिक रुपये तक जा रही हैं। हौज रानी और दिल्ली एनसीआर के बाजारों में मूर्तियों की बुकिंग जोरों पर है। हौज रानी के एक दुकानदार ने राहुल ने बताया कि इस साल मांग इतनी है कि स्टॉक खत्म होने वाला है।
सबसे ज्यादा इको-फ्रेंडली मूर्तियों की डिमांड
इस साल सबसे ज्यादा डिमांड इको-फ्रेंडली मूर्तियों की है, जो शंख-चूर्ण, क्ले, शाडू मिट्टी, लाल मिट्टी, गोबर, पेपर माशे, हल्दी-चावल और टेराकोटा से बनी हैं। इनकी खासियत है कि ये कुछ ही घंटों में पूरी तरह घुल जाती हैं और मिट्टी को उपजाऊ बनाती हैं। रंगों में भी प्राकृतिक अर्क का इस्तेमाल हो रहा है, जैसे गेरू, हल्दी और चायपत्ती से बने शेड्स। इसके अलावा सीड गणेश या प्लांट-ए-गणेश वाली मूर्तियों का भी ट्रेंड हैं, जिनमें बीज डाले जाते हैं, विसर्जन के बाद पौधा उगता है। इनकी कीमत 499 से 2,500 रुपये तक है। लक्ष्मी नगर के एक कारीगर श्याम सुंदर ने बताया कि ये मूर्तियां सुंदर होती है। साथ ही उनमें पर्यावरण संरक्षण का संदेश होता है।