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सुप्रीम कोर्ट का आदेश MCD का बड़ा इम्तिहान

एमसीडी के अधिकारियों का कहना है कि इस आदेश के बाद रणनीति बदलनी पड़ी है। उसके पास खूंखार, आक्रामक आैर बीमार कुत्तों के बारे में रोजाना करीब 100 शिकायतें मिल रही हैं।

कोर्ट ने सामान्य या स्वस्थ कुत्तों को पकड़कर शेल्टर होम में कैद करने के बजाय उनकी नसबंदी और टीकाकरण के बाद छोड़ने के निर्देश दिए। 11 अगस्त के आदेश में 8 हफ्ते में 5000 ऐसे कुत्तों को पकड़ने के आदेश में कोई परिवर्तन नहीं किया है। इस समय सीमा के दो सप्ताह बीत चुके हैं। ऐसे में एमसीडी के पास आदेश का क्रियान्वयन करने के लिए महज छह सप्ताह ही बचे हैं। इस चुनौती से पार पाना एमसीडी के लिए बेहद कठिन इम्तिहान साबित होगा।

एमसीडी के अधिकारियों का कहना है कि इस आदेश के बाद रणनीति बदलनी पड़ी है। उसके पास खूंखार, आक्रामक आैर बीमार कुत्तों के बारे में रोजाना करीब 100 शिकायतें मिल रही हैं। हालांकि परेशानी यह है कि इनमें से कई शिकायतें बार-बार उन्हीं कुत्तों को लेकर आती हैं। यानी अलग-अलग जगह से नए-नए खूंखार कुत्तों का डेटा जुटाना कठिन हो जाएगा। इस वजह से 5000 की संख्या पूरी करना उनके लिए आसान नहीं है।

वार्डवार टीम बनाने का लिया निर्णय
एमसीडी ने अब वार्डवार विशेष टीमें बनाने का निर्णय लिया है। ये टीमें न सिर्फ शिकायतों पर तुरंत कार्रवाई करेंगी बल्कि अपने स्तर पर भी इलाके में सक्रिय कुत्तों का पता लगाकर उन्हें पकड़ेंगी। फोकस उन इलाकों पर रहेगा जहां से सबसे ज्यादा शिकायतें आ रही हैं। एमसीडी ने छह सप्ताह का एक खाका तैयार किया है। इसके तहत प्रत्येक वार्ड टीम को दैनिक लक्ष्य दिया जाएगा और उनकी प्रगति पर मुख्यालय नजर रखेगा। स्थानीय स्तर पर मोहल्ला समिति, आरडब्ल्यूए और एमसीडी के स्वास्थ्य विभाग के बीच समन्वय भी बढ़ाया जाएगा, ताकि शिकायतों की पुष्टि तुरंत हो सके और कार्रवाई में देरी न हो।

सीमित दायरे में कार्रवाई में मुश्किलें
एमसीडी के सामने चुनौती संख्या की नहीं, बल्कि प्रक्रिया की भी है। एक ओर नागरिक लगातार कुत्तों के हमलों से परेशान हैं, दूसरी ओर कोर्ट के आदेश के कारण एमसीडी को सीमित दायरे में ही कार्रवाई करनी है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि एमसीडी अपनी योजना को जमीनी स्तर पर किस तरह उतारती है।

100 कुत्ते खतरनाक श्रेणी वाले किए चिह्नित
एमसीडी के अनुसार, उसके पास 750 कुत्ते हैं। इनमें से 100 कुत्तों को खतरनाक श्रेणी में रखा गया है और इन्हें शेल्टर में ही रखा जाएगा। बाकी 650 की नसबंदी हो चुकी है और इन्हें उनके पुराने इलाकों में वापस छोड़ा जाएगा। उन्हें खाना उपलब्ध कराने का स्थान रिहायशी इलाकों से कुछ दूरी पर बनाया जाएगा।

समस्या के समाधान के लिए बनाई नई रणनीति
राजधानी की सड़कों पर खुले घूम रहे लावारिस कुत्तों के मामलों में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट का आदेश आते ही एमसीडी ने तुरंत नई रणनीति तैयार कर ली है। अब एमसीडी पहले उन कुत्तों को पकड़ेगा, जिन्हें लोग खूंखार, आक्रामक या बीमार मानकर शिकायत करते हैं। सामान्य लावारिस कुत्तों को पकड़कर उनकी नसबंदी करने का काम बाद में किया जाएगा। इन कुत्तों को उनके इलाके में ही छोड़ दिया जाएगा। उन्हें खाना उपलब्ध कराने के स्थान चिह्नित किए जाएंगे। इन कुत्तों को शेल्टर में रखा जाएगा। इसके लिए एमसीडी ने खाली परिसरों को चिन्हित कर लिया है और वहां जल्द शेल्टर बनाने का काम शुरू होगा।