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पीएम मोदी ने मुख्यमंत्री-प्रधानमंत्री की तुलना क्लर्क-चपरासी से क्यों की?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार आकर प्रदेश और देश के विपक्षी नेताओं के सवालों का जवाब ही नहीं दिया, बल्कि उन्हें घेरा भी। नए कानून की चर्चा करते हुए उन्होंने सीएम-पीए की तुलना क्लर्क-चपरासी से कैसे की, जानने लायक बात है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भ्रष्टाचार पर बात करते हुए कहा कि एक क्लर्क या चपरासी जैसा छोटा सरकारी कर्मचारी 50 घंटे पुलिस हिरासत में रख लिया जाए तो वह निलंबित हो जाता है, लेकिन भारत में भ्रष्टाचार के कारण जेल में बंद राजनेताओं पर यह कानून लागू नहीं होता। यह गलत है। बिहार के गयाजी में पीएम मोदी ने कहा कि इतने वर्षों में हमारी सरकार पर भ्रष्टाचार का एक भी दाग नहीं लगा। पिछले 65 वर्षों में कांग्रेस ने कितना भ्रष्टाचार किया, यह देश की जनता जानती है। बिहार में राजद के भ्रष्टाचार के बारे में बच्चा-बच्चा जानता है। जेल से ही फाइलों पर साइन किए जा रहे थे। जेल से ही सरकारी आदेश निकाले जा रहे थे। नेताओं का अगर यही रवैया रहा तो भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई कैसे लड़ी जा सकती है?

राजेंद्र बाबू और बाबा साहेब ने नहीं सोचा होगा कि यह लोग…
हम संविधान की मर्यादा को तार-तार होते नहीं देख सकते हैं। इसलिए एनडीए सरकार एक ऐसा कानून लाई है, जिसके दायरे में देश का प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्री भी आते हैं। अब चाहे मुख्यमंत्री हो या प्रधानमंत्री, अगर शिकायत मिली तो 30 दिन के अंदर जमानत मिलेगी। अगर जमानत नहीं ली तो 30 दिन के अंदर कुर्सी छोड़नी पड़ेगी। इसलिए जेल में रहते अब सत्ता का सुख नहीं भोग पाएंगे। लेकिन, कांग्रेस, राजद और वामदल वाले इस कानून का विरोध कर रहे हैं। और, कौन नहीं जानता है कि उनको किस बात का डर है। जिसने पाप किया होता है, वह अपने पाप को दूसरों से छिपाता है। इन सब का भी यही हिसाब है। यह राजद और कांग्रेस वाले कोई बेल पर बाहर हैं तो कोई अदालत के चक्कर काट रहे हैं। जो ऐसा कर रहे हैं, वही इस कानून का विरोध कर रहे हैं। वह सुबह-शाम मोदी को भांति-भांति की गाली दे रहे हैं। यह लोग इतने बौखलाए हुए हैं कि यह लोग जनहित के कामों का विरोध कर रहे हैं। हमारे राजेंद्र बाबू और बाबा साहेब ने सोचा भी नहीं होगा कि सत्ता के भूखे लोग जेल से सत्ता का सुख भोगेंगे।